arvind bhai
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ना राम जुदा है, ना रहमान जुदा है,
इंसान ही इंसान से अनजान जुदा है।
किसी के काम आओगे तो कोई तुम्हारे काम आयेगा,
वरना इतना किसके पास वक़्त है जो हर बार दौड़ा आयेगा।
दूसरों को दोष देने में ही इंसान आधी ज़िंदगी निकाल देगा तो,
खुद के लिए हमेशा दूसरों से भले की उम्मीद कहाँ से कर पायेगा।
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