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        ना राम जुदा है, ना रहमान जुदा है,

          इंसान ही इंसान से अनजान जुदा है।
      मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना,
     दिल को दिल से जोड़ दे, वो ही सच्चा खुदा है।

                       किसी के काम आओगे तो कोई तुम्हारे काम आयेगा,
                   वरना इतना किसके पास वक़्त है जो हर बार दौड़ा आयेगा।
                  दूसरों को दोष देने में ही इंसान आधी ज़िंदगी निकाल देगा तो,

               खुद के लिए हमेशा दूसरों से भले की उम्मीद कहाँ से कर पायेगा।

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